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रविवार, 23 जून 2019

चमकी बुखार के संदिग्ध बच्चे की इंदौर में मौत, प्रशासन ने नहीं की पुष्टि

ग्रामीण मीडिया संवाददाता ।देवास

  • चमकी बुखार की पुष्टि के लिए मृत बच्चे का सैंपल पुणे की वायरोलॉजी लैब भेजा जाएगा 
  • देवास के खातेगांव में रहने वाले 9 साल के बच्चे को शनिवार रात एमवाय अस्पताल में किया गया था भर्ती


देवास जिले के खातेगांव के ग्राम जामनेर निवासी नौ साल के असलम पिता इब्राहिम को चमकी बुखार का संदिग्ध बताकर शनिवार रात को शासकीय महाराजा यशवंत राव होलकर चिकित्सालय के बाल गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती किया गया था। रविवार सुबह बच्चे की मौत हो गई। चिकित्सालय के रिकार्ड में बच्चे को लामा (लीव अंगेस्ट मेडिकल एडवाइज) होना बताया गया हैं। उधर बच्चे की मौत के बाद सरकार हरकत में आई, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के निर्देश पर प्रशासन की एक टीम को देवास के जामनेर गांव भेजा गया है।  शिशु रोग प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति मालपानी ने बताया कि बच्चे की हालत क्रिटिकल थी लेकिन परिजन यह कहकर बच्चे को ले गए कि उसके पिता की तबीयत खराब है। बच्चे की हालत गंभीर थी। यहां आने के पूर्व किसी अन्य डॉक्टर के पास इलाज के लिए गए थे। जहां उन्होंने इसे चमकी बुखार कह दिया था।
बच्चे में चमकी बुखार की पुष्टि के लिए अब उसका सैंपल पुणे की वायरोलॉजी लैब भेजने की बात कही जा रही है। बहरहाल इसे लेकर डॉ. मालपानी ने बताया, यह चमकी बुखार प्रतीक नहीं हो रहा है। बच्चे में एक्यूट एनसिफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की पहचान की गई है। बुखार दिमाग पर चढ़ गया था। जब उसे चिकित्सालय लाया गया था तब वह बेसुध था। ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक ने उन्हें जाने से रोका था लेकिन वे नहीं माने। उनका कहना था कि बच्चे के पिता बीमार है। 
उधर, असलम के मामा हलीम शाह का कहना हैं कि हम बीमार बच्चे को लेकर घर क्यों जाएंगे। हमको ड्यूटी डॉक्टर ने सुबह 5 बजे बताया कि बच्चे को अब घर ले जाओ। इसलिए सुबह एम्बुलेंस लेकर हम वापस गांव आ गए। पिता इब्राहिम का कहना है कि मेरी तबीयत बिलकुल ठीक है। अपने बच्चे को इस हालत में देखकर मैं मानसिक रूप से अस्वस्थ्य महसूस कर रहा था। उसे इस हालत में नहीं देख सकता था। इसलिए एमवायएच नहीं गया था। पूर्व सरपंच मनीष पटेल ने बताया कि बच्चे के पिता बीमार नहीं है। कोई भी व्यक्ति बीमार बच्चे को क्यों लाएगा। चिकित्सकों ने इनसे लामा लिखवाया।
बालक की मृत्यु चमकी बुखार से नहीं - सीएमएचओ
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इंदौर डॉ. प्रवीण जड़िया का कहना है कि असलम की मृत्यु चमकी बुखार से नहीं हुई है। उन्होने बताया कि एमवाय अस्पताल में उपचाररत असलम को उसके परिजन अपनी मर्जी से रविवार की सुबह 6 बजे हास्पिटल से छुट्टी करवाकर ले गए थे। अस्पताल से परिजनों द्वारा जामनेर जिला देवास ले जाने के दौरान रास्ते में बच्चे की मृत्यु हुई।
डॉक्टर जड़िया ने बताया कि शुक्रवार को तेज बुखार आने पर असलम को पहले गांव में  फिर खातेगांव और हरदा में उपचार के बाद शनिवार को इंदौर के एमवाय अस्पताल में लाया गया था। चिकित्सकों द्वारा जांच में वायरल बुखार तथा मस्तिष्क ज्वर बताया गया किसकी पुष्टि रक्त और सीएसएफ की जांच से भी हुई है। चमकी बुखार जैसे कोई लक्षण जांच में नहीं मिले थे।

6 जड़ी से बने काढ़े से चमकी जैसे बुखार में राहत, आयुर्वेद-यूनानी एक्सपर्ट्स ने बताए नुस्खे


  • बिहार में चमकी बुखार से अब तक 173 बच्चों की मौत, इसके कारण देशभर में डर का माहौल 
  • दो विशेषज्ञों ने बताया- इस तरह के बुखार का इलाज आयुर्वेद से संभव, सुबह-शाम पीना होगा विशेष काढ़ा

चमकी बुखार से बिहार में अब तक यह 173 बच्चों की जान जा चुकी है। चमकी बुखार 1 से 10 साल के बच्चों को सबसे ज्यादा टागरेट करता है। अप्रैल, मई और जून में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। नेशनल हेल्थ पोर्टल द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुपोषण का शिकार या लीची के बागों के नजदीक रहने वाले बच्चे इसका ज्यादा शिकार हो रहे हैं। 
विशेषज्ञों की राय अलग-अलग
इस बुखार के कारणों का पता लगाने के लिए बिहार सरकार द्वारा कुछ वर्ष पहले बनाई गई एक समिति ने यह पाया था कि ऐसे कुपोषित बच्चे जो सिर्फ लीची खाकर सोए थे, वे प्री-मानसून सीजन में इस बुखार का शिकार हुए।
अध्ययन में बताया गया कि खाली पेट सोने वाले कुपोषित बच्चों के खून में ग्लूकोज लेवल कम हो गया था। ऐसा जहरीले रसायन मिथाइलीन साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन के बनने के कारण हुआ और ये लीची में पाया जाता है। हालांकि इस अध्ययन को लेकर वैज्ञानिक एकमत नहीं है और कई लोग कुपोषण, मौसम, गर्मी और गरीबी को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के एक्सपर्ट ने बताया खास नुस्खा
  • भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और काया चिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर रामकिशोर जोशी ने बताया कि आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ तीन बड़े दोष माने गए हैं। मस्तिष्क ज्वर के जो लक्षण दिखते हैं, उनसे वात और कफ का दोष समझ आता है।


  • इन्हें खत्म करने के लिए तुलसी की पत्ती और संजीवनी बटी को गिलोय के तने वाले भाग के साथ मिलाकर पानी में उबालना चाहिए। इसमें चार मुनक्का, बिना फूल वाली एक लौंग डालकर उबालें। इतना उबालें कि पानी आधा हो जाए। फिर इसे छानकर सुबह-शाम पिएं। 
  • तबीयत ठीक न होने तक इसे लिया जा सकता है। कम से कम 7 दिनों तक जरूर पीना चाहिए। 
  • इसके अलावा नागरमोथा, पित्तपापड़ा, उशीर, लाल चंदन, सोंठ और सुगन्धबाला को मिलाकर अच्छे से उबालें। इस काढ़े को छानकर पीने से भी ज्वर में फायदा होता है। 
  • इसे षडंगपानीय कहा जाता है। आयुर्वेदिक दुकानों पर इसका लिक्विड भी मिलता है। यदि आपको अलग-अलग चीजें नहीं मिल पा रहीं तो आप षडंगपानीय को लिक्विड फॉर्म में भी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं।
  • परहेज के रूप में खाने पीने में खट्‌टी चीजें जैसे- छाछ, दही, अचार न लें। ठंडी चीजें न खाएं। तेज धूप में न जाएं। 
भोपाल के आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी ने बताए देसी नुस्खे
  • नाक और कान में नारियल के तेल में थोड़ा सा कपूर मिलाकर दो-दो बूंद डालें।
  • ब्रह्मी वटी 1-1 गोली सुबह दोपहर शाम लें।
  • अग्नितुण्डि वटी 1-1 गोली सुबह दोपहर शाम लें।
  • अमरसुन्दरी वटी 1-1 गोली सुबह दोपहर शाम लें।
  • सारस्वतारिष्ट और सुदर्शनारिष्ट 2-2 चम्मच सुबह शाम भोजन के बाद पानी के साथ।
  • सिर पर चनदनबाला लाक्षादि तेल की मालिश करें।

यूनानी चिकित्सा पद्धति में क्या बताया इलाज
>गवर्नमेंट यूनानी मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ रेजिमेंटल थेरेपी (इलाज-बिल-तदबीर) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आरिफ अनीस ने बताया कि दिमाग और उसकी झिल्ली में जब सूजन आ जाती है तो यूनानी में उसे सरसाम कहते हैं। यदि यह गर्मी से पैदा हुआ है तो इसे सरसाम हार कहा जाता है। वहीं ठंडी से पैदा हुआ है तो बारिद कहलाता है।
>बिहार में जिस बुखार से बच्चों की जान जा रही है, वह सरसाम हार का ही एक प्रकार है। ये बहुत ज्यादा गर्मी से पैदा होता है। इसमें बच्चे को तेजी से बुखार आता है। जीभ सूख जाती है। मानसिक असुंतलन हो जाता है। सोचने-समझने की शक्ति भी खत्म होने लगती है। बेहोशी आती है। पल्स कम हो जाती हैं। यूरिन भी अपने आप पास होने लगता है। लगातार बेहोशी होने पर जान तक चली जाती है। 

    यूनानी में इलाज
  1. इमली या आलूबुखारा को पानी में 15 से 20 मिनट भिगोकर छोड़ दें। फिर इसे मसलकर इसका पानी छानकर निकाल लें। 
  2. दो साल से कम उम्र का बच्चा है तो उसे दिन में तीन से चार मर्तबा यह पानी पिलाएं। 
  3. वहीं दो साल से अधिक उम्र है तो आधा कप से अधिक दिन में तीन से चार बाद दें। 
  4. इसी तरह कमजोरी दूर करने के लिए जौ की खीर खिलाएं। 
  5. खट्‌टे-मीठ अनार का पानी पिलाने से भी कमजोरी दूर होती है। 
  6. कद्दू, खीरा और धनिया का पानी निकालकर किसी शीशी में भर लें। इसे बच्चे को बार-बार सुंघाएं। 
    कौन सी दवाई से होगा फायदा
  1. तीन ग्राम बहीदाना और उन्नाब के पांच दानों को पानी में भिगोकर इसका शीरा निकाल लें। काहू के तीन ग्राम बीज को पानी पीस लें। फिर इन तीनों को मिलाकर इसमें शरबत नीलोफर मिलाकर दिन में दो बार पिलाएं।
  2. आयु के अनुसार डोज लें। 3 साल से कम उम्र है तो 10 से 20 मिली ले सकते हैं। अगर उम्र 3 साल से ज्यादा है तो 20 से 40 मिली लें। 
    क्या हैं इसके संकेत
    बहुत तेज बुखार आना, सिर में दर्द, ऐंठन, बार-बार दौरे पड़ना, बेहोशी, दांत रगड़ना, हाथ-पैर में ऐंठन, शरीर शून्य होना या फिर चलने-फिरने में परेशानी इस बुखार के संकेत हो सकते हैं। 
    क्यों होता है ये बुखार
    चिकित्सक इसके अलग-अलग कारण बताते हैं, जैसे मच्छर के काटने से, खाली पेट लीची खाने से, धूप में जाने पर लू लगने से ये बुखार होता है। आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार, जब शरीर में वात दोष बढ़ जाता है तो वह हमारे पाचन तंत्र को खराब करता है। यही प्रकोप सिर पर चढ़ जाता है और दिमाग में सूजन आ जाती है। इसमें बुखार के साथ दौरे पड़ने लगते हैं। यदि पित्त दोष को शांत न किया जाए तो मौत तक हो सकती है। 

    कौन सी गलतियां न करें
  1. जिसका बुखार हो उसे भारी खाना न दें।
  2. बाहर का कुछ भी न खिलाएं। तेल-मसाले युक्त भोजन न दें।
  3. चाय-कॉफी से दूर रखें। धूप में न घूमने दें। 
  4. ठंडी चीजें न खाएं।
  • फेसर डॉ आरिफ अनीस ने बताया कि दिमाग और उसकी झिल्ली में जब सूजन आ जाती है तो यूनानी में उसे सरसाम कहते हैं। यदि यह गर्मी से पैदा हुआ है तो इसे सरसाम हार कहा जाता है। वहीं ठंडी से पैदा हुआ है तो बारिद कहलाता है।

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