ग्रामीण मीडिया सेण्टर
मुलताई वरिष्ठ और कनिष्ट शराबी संघ ने ग्रामीण मीडया के मार्ग दर्शन में प्रदेश के मुख्य मंत्री को एक ज्ञापन पोस्ट आफिस के माध्यम से भेजा। जिसमे बताया की,प्रदेश की करीब 35 प्रतिशत आबादी जो गरीब है। जो शराब का नियमित सेवन करती है। इसमें वे मेहनत कास नागरिक है। जैसे - दैनिक मजदूर, हमाल,छोटेकारोबारी, वाहन चालक,कंडेक्टर,हेल्पर,छोटे किसान,राज मिस्त्री,बेरोजगार युवक,तृतीय श्रेणी का कर्मचारी, हाथ ठेले वाला, अपनी आय का लगभग 80 प्रतिशत की रोज शराब पी रहे है। इस से प्रदेश सरकार को सबसे अधिक राजस्व टेक्स मिलता है। सरकार के खजाने में रोज राज कोष जमा करने वाले ये लोगो मानसिक, शारारिक , आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे है। राज सरकार इन सबसे अधिक राजस्व जमा करने वालो की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। इस बात को सरकार तक पहुंचाने के लिए संघठन ने तीन पेज का एक ज्ञापन सीएम के नाम बनाया है। जिसमे उनकी मांगे है।
देश के संविधान की 7 वी अनुसूची दे प्रमुख विषय राज्य की सूची में शराब को राज का विषय माना गया है। जिसके कारण हर राज सरकार शराब के लिए नियम बनाती है। किसी ने इसको राज कोष का प्रमुख आय का जरिया (मध्यप्रदेश) तो किसी ने पाबंदी (बिहार,गुजरात) लगा दी है। मध्य प्रदेश में ये सरकार की आय का प्रमुख जरिया है। मुलताई संघ ने सर्वे में पाया की प्रदेश की 35 प्रतिशत आबादी रोज शराब पीती है। वे इसके आदी हो चुके है। असली शराब की आड़ में नकली कुत्ता मार और कैप्सूल से बनी शराब की विक्री ज्यादा है। शासन का कोई नियंत्रण नहीं है। शराब से सरकार,सरकारी और ठेके दार तो माला माल हो रहे है। पीने वाले बर्बाद हो रहे है।
सरकार ने 250 एमएल की जगह 180 एमएल शराब कर दी है। भाव 60 रु। मांग है पूर्वत मात्रा और भाव करे। और कैप्सूल और कुत्ता मार शराब बनाने वाले को आजीवन कारावास की सजा। 1915 का आबकारी एक्ट अंग्रेजो का समाप्त करे। नई आबकारी नीति बनाय।
नियमित शराब का सेवन करने वालों का प्रति माह स्वास्थ परीक्षण करवाए और निशुल्क दवा दे। शराब सेवन, अधिक दारु या जहरीली शराब से मृत्यु में तत्काल 10 लाख की राहत राशि। अधिक शराब सेवन के कारण दुर्घटना में मेडिकल सुविधा और एम्बुलेंस की सुविधा। नशे की हालत में मारपीट या अन्य अपराध में अपराध दर्ज न करे। क्योकि शासन की शराब पीकर ये हाल होते है तो मध्य प्रदेश शासन को नियमानुसार प्रकरण दर्ज नहीं करना चाहिए। हर शराब दुकानों पर लेक्टो मीटर और एसिड जांच मशीन की सुविधा। शराब देशी हो या विदेशी ग्राहक को पक्का बिल जिस पर बेच नम्बर डाल कर दे। स्टॉक बोर्ड, परिसर में बैठने और शुद्ध जल की व्यवस्था। सुरक्षा के उचित प्रबंध हो। मासिक कार्ड पर डिस्काउंड योजना। मूल ठेकेदार ही शराब बेचे पेटी ठेकेदार व्यवस्था पर अंकुश। ठेकेदार के प्रत्येक कर्मचारी यूनीफॉर्म में नाम की पट्टी पहचान के लिए। परिसर साफ सुथरा।
अंत में दैनिक शराब बचने वालो ने व्यक्ति परेशानीओ में बताया की जो नकली शराब कैप्सूल की आती है। उसको वे बोतल के ढक्क्न की पेकिंग,रंग और स्वाद से पहचान जाते है। नकली का ढक्क्न डिला नूज होता है उलटा करने पर शराब गिरती है। स्वाद तीखा बाद में एक दम चक्कर आते है। रोज पीने पर खाने की भूख खत्म होती है। पूरे शरीर में झुनझुनी आती है। हर ठेकेदार की प्रत्येक बोतल पर एक पर्ची चिपकी रहती है। मुलताई नगर के ग्रुप में कुल 13 दुकाने है जो 10 करोड़ 57 लाख में गई है। जिसमे नगर में 1 विदेशी और 2 देशी दूकान है। बाकी की ग्रामो में है। पर इसकी आड़ में अवैध करीब 40 दुकाने नगर में और की ग्रामो में सड़क किनारे के ढाबो पर एक जिसमे कच्ची पक्की कुत्ता मार कैप्सूल। एक पेटी देशी की जिसमे ९लिटर शराब आती है। वो १२०० रु में मिलती है। जिसमे 50 नग जिसके 65 से 3250 बनते है। पूरा व्यापार नम्बर दो में चलता है। ये आकड़े सब को मालूम है। मासिक मजूदरी वालो को उधारी में भी शराब मिलती है। जिससे वह अपना पूरा वेतन इन दूकान दारों को दे देता है। खेती बॉडी वाले को साल भर की उधारी में मिलती है। पैसे न देने पर जमीन की रजिस्ट्री योजना है। उधारी के कहते चलते है। जो की आबकारी एक्ट और भारत के संविधान में कही नहीं लिखे है। सारे की सारे शराबी अधमरे हो रहे है। इसके बाद भी लगातार पी रहे है। कई स्वाभिमान शराबीओ ने मांग की है, कि प्रदेश को सबसे अधिक टेक्स देने के कारण इनका कही भी अपमान न हो सरकार दारुखसी और बेवड़ा जैसे शब्दों को प्रतिबंधित करे। जो बोले उस पर अपराध दर्ज हो।
नियमित शराब का सेवन करने वालों का प्रति माह स्वास्थ परीक्षण करवाए और निशुल्क दवा दे। शराब सेवन, अधिक दारु या जहरीली शराब से मृत्यु में तत्काल 10 लाख की राहत राशि। अधिक शराब सेवन के कारण दुर्घटना में मेडिकल सुविधा और एम्बुलेंस की सुविधा। नशे की हालत में मारपीट या अन्य अपराध में अपराध दर्ज न करे। क्योकि शासन की शराब पीकर ये हाल होते है तो मध्य प्रदेश शासन को नियमानुसार प्रकरण दर्ज नहीं करना चाहिए। हर शराब दुकानों पर लेक्टो मीटर और एसिड जांच मशीन की सुविधा। शराब देशी हो या विदेशी ग्राहक को पक्का बिल जिस पर बेच नम्बर डाल कर दे। स्टॉक बोर्ड, परिसर में बैठने और शुद्ध जल की व्यवस्था। सुरक्षा के उचित प्रबंध हो। मासिक कार्ड पर डिस्काउंड योजना। मूल ठेकेदार ही शराब बेचे पेटी ठेकेदार व्यवस्था पर अंकुश। ठेकेदार के प्रत्येक कर्मचारी यूनीफॉर्म में नाम की पट्टी पहचान के लिए। परिसर साफ सुथरा।
अंत में दैनिक शराब बचने वालो ने व्यक्ति परेशानीओ में बताया की जो नकली शराब कैप्सूल की आती है। उसको वे बोतल के ढक्क्न की पेकिंग,रंग और स्वाद से पहचान जाते है। नकली का ढक्क्न डिला नूज होता है उलटा करने पर शराब गिरती है। स्वाद तीखा बाद में एक दम चक्कर आते है। रोज पीने पर खाने की भूख खत्म होती है। पूरे शरीर में झुनझुनी आती है। हर ठेकेदार की प्रत्येक बोतल पर एक पर्ची चिपकी रहती है। मुलताई नगर के ग्रुप में कुल 13 दुकाने है जो 10 करोड़ 57 लाख में गई है। जिसमे नगर में 1 विदेशी और 2 देशी दूकान है। बाकी की ग्रामो में है। पर इसकी आड़ में अवैध करीब 40 दुकाने नगर में और की ग्रामो में सड़क किनारे के ढाबो पर एक जिसमे कच्ची पक्की कुत्ता मार कैप्सूल। एक पेटी देशी की जिसमे ९लिटर शराब आती है। वो १२०० रु में मिलती है। जिसमे 50 नग जिसके 65 से 3250 बनते है। पूरा व्यापार नम्बर दो में चलता है। ये आकड़े सब को मालूम है। मासिक मजूदरी वालो को उधारी में भी शराब मिलती है। जिससे वह अपना पूरा वेतन इन दूकान दारों को दे देता है। खेती बॉडी वाले को साल भर की उधारी में मिलती है। पैसे न देने पर जमीन की रजिस्ट्री योजना है। उधारी के कहते चलते है। जो की आबकारी एक्ट और भारत के संविधान में कही नहीं लिखे है। सारे की सारे शराबी अधमरे हो रहे है। इसके बाद भी लगातार पी रहे है। कई स्वाभिमान शराबीओ ने मांग की है, कि प्रदेश को सबसे अधिक टेक्स देने के कारण इनका कही भी अपमान न हो सरकार दारुखसी और बेवड़ा जैसे शब्दों को प्रतिबंधित करे। जो बोले उस पर अपराध दर्ज हो।
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