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मानव तस्करी | जनसाहस संस्था ने तमिलनाडु प्रशासन के साथ मिलकर बंधक युवकों को मुक्त कराया
मानव तस्करी | जनसाहस संस्था ने तमिलनाडु प्रशासन के साथ मिलकर बंधक युवकों को मुक्त कराया
रोजगार मेलों में हजारों बेरोजगारों को रोजगार देने का दावा करने वाले प्रशासन की नींद सोमवार को उस समय उड़ गई जब तमिलनाडु में बंधक बनाए बैतूल के 9 युवकों को तमिलनाडु के अधिकारियों ने बैतूल प्रशासन को सौंपा। इन युवकों को चिचोली के आवरिया निवासी गणेश धुर्वे ने अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर बेच दिया था।
चौकाने वाली बात यह भी है कि मामले में परिजनों ने डेढ़ माह पूर्व चिचोली थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद एसपी को भी युवाओं काे छुड़ाने परिजनों ने शिकायत की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। युवकों ने बताया उन्हें केवल 50 हजार रुपए में बंधुआ मजदूर के रूप में एक बोरिंग मशीन पर काम करने के लिए बेचा था। उन्हें भूखे पेट रखकर बात-बात पर पीटा जाता था। नाखून खींचने जैसी प्रताडऩाएं भी दी जाती थीं।
बंधुआ बनाने की जानकारी परिजनों को उस समय लगी जब युवकों ने गणेश से परिजनों से बात कराने को कहा। इन्होंने परिजनों को बताया कि गणेश ने उन्हें बेच दिया है। ठेकेदार बोल रहा है जब तक गणेश 10 लड़कों को नहीं भेजता उन्हें वापस नहीं भेजा जाएगा। सोमवार को तमिलनाडु के तिरुवनामलाई जिले के रेवेन्यू इंस्पेक्टर राजेंद्रन, दशरथन और जनसाहस संस्थान देवास के करन राठौर अपने साथ बैतूल के 9 युवकों को लेकर कलेक्टोरेट पहुंचे। उन्होंने रामचंद्र पिता फूले सिंह, लखमू पिता सुखराम, मुन्नालाल पिता मदन, प्रेमलाल पिता गुंतालाल, बसंता पिता रामदयाल, कमलेश पिता देवसू, लल्लन पिता कुंदन, लखन पिता दौलत, प्रमोद धुर्वे पिता सुखचंद को अपर कलेक्टर मूलचंद वर्मा को सौंपा। अधिकारियों ने बताया इन 9 युवकों को रोजगार का झांसा देकर 50 हजार रुपए में बंधुआ मजदूर के रूप में बेचा था। उन्हें बोरिंग मशीन पर काम करवाया जा रहा था। सूचना मिलने पर वे उन्हें छुड़ाकर लाए हैं।
अंतरराज्यीय रैकेट होने का अंदेशा, छत्तीसगढ़ का भी था एक युवक
पीड़ित युवाओं ने बताया उनके ही गांव चिचोली के आवरिया निवासी गणेश धुर्वे (25) ने उन्हें महाराष्ट्र में अच्छी नौकरी का झांसा दिया और नागपुर ले गया। नागपुर में राजू और सुनील को सौंप दिया। इन दलालों से 50 हजार रुपए भी ले लिए। इसके बाद राजू और सुनील उन्हें तमिलनाडु ले गए। यहां पर बोरिंग मशीन पर काम करवाया। 2 महीने बाद घर जाने की बात कही, लेकिन 3 महीने बीतने के बाद भी छुट्टी नहीं मिली। ठेकेदार ने कहा कि गणेश से तुम्हे 50 हजार में खरीदा है। जाने नहीं दिया जाएगा।
इस तरह किया जाता था प्रताड़ित
बंधक बने युवकों ने बताया कि उनसे 18 से 22 घंटे काम करवाया जाता था। भरपेट खाना नहीं देते थे। छुट्टी की मांग करने पर कमलेश उइके के साथ लोहे की राड के साथ मारपीट की। उंगलियों के नाखून निकाल दिए थे। लखमू धुर्वे से मिट्टी थोपने का काम कराया जा रहा था। थक जाने पर मना किया तो ठेकेदार ने डंडे से पीटता था।
आधार कार्ड और वोटर आईडी भी छुड़ा लिए
एक-दो युवकों ने भागने की कोशिश की। इस पर उनके आधार कार्ड और वोटर आईडी छीन लिए। बंधक बनाए गए प्रमोद धुर्वे ने बताया एक बार हमने भूख लगने पर खाना मांगा तो गरम करछी से हाथ जला दिया।
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