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बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

बड़ी खबर सांसद ज्योति धुर्वे, जाति प्रमाण पत्र निरस्त

ग्रामीण मीडिया संवाददाता

बैतूल की सांसद ज्योति धुर्वे की जाति मामले का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है।इस बार उनके लिए बहुत बुरी खबर है। सांसद की जाति प्रमाण पत्र को हाई पावर छानबीन समिति ने रिवीव पिटीशन के बाद निरस्त कर दिया है यानी उनकी पिटीशन खारिज कर दी गयी है। लेकिन फिलहाल यह आदेश अभी सार्वजनिक नही किया गया है।हालांकि शिकायत कर्ता एडवोकेट शंकर पेंदराम ने इसकी पुष्टि की है।


छानबीन समिति ने बीते 3 मई को सांसद के प्रमाण पत्र के निरस्ती का आदेश किया था लेकिन सांसद ने उस समय इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी थी। आज समिति द्वारा खारिज की गई पिटीशन की पुष्टि शिकायतकर्ता अधिवक्ता शंकर पेंदाम ने की है।
गौरतलब है कि पिछले 3 मई को  समिति ने उनके संदेहास्पद जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर जांच रिपोर्ट प्रमुख साचिव आदिवासी विकास को भेज दी थी। उस समय जांच में पाया गया था कि ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र 1984 में रायपुर के आदिवासी विभाग के संयोजक से बनवाया गया था।इसी प्रमाण पत्र को बैतूल की ग्राम पंचायत चिल्कापुर के सत्यापन के आधार पर तत्कालीन भैसदेही तहसीलदार ने जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया था। बताया जा रहा है कि सांसद ने छानबीन समिति के सामने अपनी जाति को लेकर जितने भी साक्ष्य प्रस्तुत किये वे पिता के परिवार और पिता की वंशावली के अनुरूप नहीं पाये गए है।सारे प्रमाण मातृ पक्ष से प्रस्तुत किये गए है। समिति की इस जांच के बाद सांसद की मुश्किलें बढ़ गयी थी।लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार की वजह से यह मामला टल गया था। इस मामले को कोर्ट तक खींच कर ले जाने वाले अधिवक्ता शंकर पेन्दराम ने  बताया कि  आवेदन पिछले 9 साल से लंबित था जिसे लेकर उन्होंने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका भी दाखिल की थी। उन्होंने कहा कि इस आदेश के बावजूद सांसद के पास अभी अदालत जाने का मौका है। उन्होंने खबरम को बताया कि उन्हें भी सांसद की रिवीव पिटीशन खारिज होने की जानकारी मिली है।इधर इस मामले की पुष्टि और पक्ष जानने के लिए खबरम ने सांसद ज्योति धुर्वे,उनके पीए मुरली पाल और भाजपा जिलाध्यक्ष वसंत मकोड़े से संपर्क किया तो तीनों ने फोन नही उठाया।

हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे
इस मामले में मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक सांसद इस फैसले औऱ पिटीशन खारिज करने के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सूत्रों ने बताया कि रिवीव पिटीशन के बाद समिति ने सांसद और बालाघाट तहसीलदार को बयान दर्ज कराने तलब किया था लेकिन उन तारीखों पर बयान दर्ज न कर पेशी तारीख बढ़ा दी गयी। इस मामले में बताया जा रहा है कि  सांसद ज्योति धुर्वे का प्रमाण पत्र जिन जमीनों के दस्तावेजो में उनके पिता के नाम के बिना पर निरस्त करने का आदेश किया गया है।उस दावे को सांसद ने समिति के सामने चुनौती दी थीं।सूत्र बताते है कि जिस भूमि पर सांसद के पिता का नाम दर्ज बताया गया था।जांच में वह गलत तरीके से जोड़ना पाया गया है।सूत्र तो यहां तक बता रहे है कि उसमें ओवर राइटिंग की गई थी।

सांसद के लिए नुकसानदेह
।बताया जा रहा है कि समिति द्वारा अपने पूर्ववर्ती आदेश को यथावत रखने से सांसद अब बड़ी मुश्किल में है ।हालांकि उनका लोकसभा सत्र अंतिम चरण में है। इस फैसले के खिलाफ अगर उन्हें अदालतों से भी राहत नही मिलती है तो सांसद रहते लिए गए वेतन भत्ते,आयोग सदस्य के तौर पर ली गयी सुविधाओ की रिकवरी की मांग उनके विरोधी कर सकते है।वही जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताकर उनके खिलाफ जालसाजी की भी आपराधिक कार्रवाई की मांग की जा सकती है।



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