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शनिवार, 23 मार्च 2019

बेतुल जिले का दूषित रूप, नाबालिक लड़कियों के हो रही धड़ले से विवाह

ग्रामीण मीडिया संवाददाता। चोपना बैतूल

बंगाली कैम कहे जाने वाली चोपना क्षेत्र में एक घर बनाने के नाम पर धड़ल्ले से नाबालिग लड़कियों के विवाह कराए जा रहे हैं बावजूद इसके प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। इस मामले में रोचक तथ्य यह भी है कि यदि नाबालिग लड़की का पिता ऐसा नहीं करता है तो उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है।

तो कर देते हैं गांव से बहिष्कार

आश्चर्य की बात तो यह की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका सहित अन्य सरकारी एजेंसियों को इसकी जानकारी होने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई न किया जाना कई तरह के सवालों को जन्म दे रहा है। बंगालियों के रीति रिवाजों के जानकर प्रमोद गुप्ता की मानें तो गांव में आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से नाबालिग लड़कियों को घर बैठे जाने (विवाह के मामले में
समझौता किया जाता है। बंगाली समुदाय के माध्यम से घर बैठे जाने को ही (विवाह)कहा जाता है। यदि किसी ने इस प्रथा का विरोध किया तो गांव के लोग उसे गांव के बाहर कर देते हैं। जिससे बहिष्कार कहा जाता है।

ताजा मामले में दर्ज कराई रिपोर्ट |
कुछ ऐसा ही मामला 19 मार्च को प्रकाश मेंआया बताया जाता है कि गांव में ही रहने वाले निर्मल मंडल की नाबालिग पुत्री को गांव के ही 20 वर्ष के विजय मजूमदार के साथ उसे धर बैठा दिया गया है। जबकि पुत्री के पिता के माध्यम से पहले तो इस का खुलकर विरोध किया गया। लेकिन जब गांव के लोग नहीं माने तो उस लड़की के पिता के माध्यम से चोपना थाना में विजय मजूमदार पिता रमेश मजूमदार के खिलाफ अपनी नाबालिग लड़की को अगवा
करके ले जाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ चोपना थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

जबरन बैठा दिया गया घर
आश्चर्य की बात तो यह कि 4 दिन से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी चोपना पुलिस को आरोपी नहीं मिल पाया है। जबकि नाबालिग लड़की के पिता ने आरोप लगाया कि उनके मकान से 10 मकान की दूरी पर ही उनकी पत्नी को जबरदस्ती घर बैठाया(विवाह) गया है। पुनर्वास केंद्र चोपना के सालीवाला कैम्प में बंगाली समुदाय के ही लोग निवास करते हैं, और इस समाज के लोगों में इन दिनों यह प्रथा शुरू हो गई है। पहले नाबालिग लड़की कोगांव के ही किसी लड़के के साथ घर बिठा दिया जाताहै और यदि किसी लड़की के पिता ने इसका विरोध किया तो उसे गांव से बाहर कर दिया जाता है।

दुष्कर्म की भी सामने आई थी घटना
18 नवंबर 2018 को भी इस तरह की एक घटना हुई थी जिसमें नाबालिक लड़की के साथ दुष्कर्म किया गया और उससे घर बिठा दिया गया। लेकिन उस लड़की के पिता के माध्यम से इसका विरोध कर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई जिस पर 5 माह से बंगाली समाज के लोगों के माध्यम से 5 परिवार को गांव से बाहर कर दिया गया है। जिसकी वजह से गांव के लोग खुलकर इस कृत्य का विरोध नहीं कर पाते है।

बताया जाता है कि प्रशासन इस मामले की जांच करें तो पुनर्वास के चोपना के 32 गांव में 5 दर्जन से अधिक इस तरह का मामला प्रकाश में आएगा। इससे यह प्रतीत होता है कि पुनर्वास केंद्र चोपना में राज्य और केंद्र सरकार को सभी योजनाएं दम तोड़ते दिखाई दे रही है। राज्य और केंद्र सरकार नाबालिग विवाह रोकने के लिए करोड़ों रुपए प्रति वर्ष खर्च कर रही है।लेकिन यहां पर नाबालिग लड़कियों का विवाह बेखौफ होकर किया जा रहा है। अब सवाल यह उठता है कियह विवाह कब रुकेगा और प्रशासन के माध्यम से क्या कार्रवाई की जाएगी।


इनका कहना...

पीड़ित परिवार के माध्यम से मेरे कार्यालय में लिखित शिकायत भिजवाई है, उचित कार्रवाई की जाएगी। नाबालिग का विवाह करना अपराध है।
-श्री तरुण पिथोड़े, कलेक्टर बैतूल

पुनर्वास केंद्र चोपना के सागवाड़ा कैप मे 18 माह मे 16 नाबालिगों का विवाह हो गया है। इसकी जानकारी मुझे नहीं है। अभी मौके पर भिजवा कर नाबालिग विवाह कितने हुए इसकी जानकारी एकत्रित करवाई जाएगी। उसके बाद ही कार्रवाई होगी।
-श्रीमती इक्का मैडम,
परियोजना अधिकारी, घोड़ाडोंगरी

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