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मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

उद्यानिकी विभाग किसानों को 50 फीसदी देगा अनुदान


मुलताई 



प्याज का बंपर उत्पादन होने पर भी किसानों के सामने अच्छे रेट को लेकर हर साल ही समस्या खड़ी होती है। डिमांड कम होने से उन्हें कम दाम पर प्याज बेचनी पड़ती है। दरअसल, किसानों की मजबूरी है कि वे खेतों से निकालने के बाद प्याज को हाथों-हाथ बेच दें। क्योंकि प्याज सहेजने के लिए पर्याप्त प्याज भंडार गृह नहीं हैं। ऐसे में भंडारगृह बनवाने को लेकर किसानों को स्वयं आगे आना होगा। क्योंकि उद्यानिकी विभाग से किसानों को इस बार नई डिजायन के गोदाम मिलेंगे। प्रदेश में पहली बार में प्याज भंडार गृह स्कीम में मल्टीपरपज भंडार गृह बनाए जाने की पहल की गई है। इसमें प्याज के सीजन के बाद गोदाम का दूसरी नश्वर फसलों के लिए भी उपयोग हो सकेगा। 
ऐसे होंगे मल्टीपरपज गोदाम इस साल योजना में भंडारगृह के डिजाइन में फेरबदल किया गया है। अब तक प्याज को भंडारगृह में एक समय तक भंडारित रखने के बाद जब किसान उपज को बेच देता था तो उसके बाद यह खाली ही पड़े रहते थे, लेकिन अब प्याज भंडारगृह बांस बल्लियों की बजाय पक्के बनेंगे। इनमें भिंडी, टमाटर, मटर, गोभी, बैगन, नीबू व अन्य नश्वर उत्पाद भी रखे जा सकेंगे। भंडारगृह की दीवारें होंगी, 20 खिड़की और दरवाजे होंगे, वहीं छत पर टीन शेड डला होगा। 
हो सकेगी नुकसान की भरपाई पिछले साल जून-जुलाई में भी प्याज के कम दाम किसानों के लिए चिंता का सबब बने थे। प्याज के भाव 3 रुपए किलो तक आ गए थे। शासन ने किसानों को राहत देने के लिए 6 रुपए किलो की दर से प्याज की खरीदी की, लेकिन कुछ दिन में सरकारी गोदाम भर गए। ऐसे में केवल 18 दिन में ही खरीदी रोकना पड़ी। खरीदी रुकने से किसानों का प्याज तो घर में रखे-रखे ही सड़ गया, लेकिन सरकारी गोदामों में रखा प्याज भी सुरक्षित न रह सका। उसे भी आखिरकार फेंकना ही पड़ा। 
निर्माण की आधी राशि भी मिलेगी
नुकसान से बचने के लिए किसान को स्वयं भंडारगृह बनाने के लिए आगे आना होगा। दरअसल, अलग-अलग क्षमता के इन भंडारगृह पर 50 फीसदी तक का अनुदान दिया जा रहा है। विशेष तकनीक से बने इन भंडारगृहों में प्याज सहित अन्य सब्जी उत्पादों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। 3.50 लाख की लागत वाले भंडारगृह पर 1.75 लाख अनुदान किसानों के खाते आएगा। -आरडी चौबे उद्यान विकास अधिकारी उद्यानिकी 

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