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बुधवार, 3 अप्रैल 2019

बैतूल जिले की सभी राशन दुकानों की होगी जाँच:कलेक्टर बैतूल

ग्रामीण मीडिया संवाददाता 


हर तीन महीने में की जानी है माॅनीटरिंग, लेकिन होती नहीं 
शहर की केवल तीन दुकानों पर कार्रवाई ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अंतर्गत आने वाली जिले की सभी 638 राशन दुकानों के राशन वितरण पर सवालिया निशान लगा दिया है। कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने जिले की सभी 638 राशन दुकानों के एक साल के राशन आवंटन और डिस्ट्रीब्यूशन की रिपोर्ट खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग से मांगी है। इसमें गड़बड़ी पाए जाने पर बड़ी कार्रवाई के संकेत भी उन्होंने दे दिए हैं। 
हाल ही में कलेक्टर के आदेश पर तीन दुकानों पर की गई कार्रवाई ने राशन की कालाबाजारी को उजागर किया था। इससे यह साबित हाे गया कि जिले की 638 दुकानों में रखा 2 लाख 65 हजार गरीब परिवारों का राशन असुरक्षित है। हर तीन महीने में एक बार राशन दुकानों की जांच का नियम केवल कागजों में चल रहा है, यदि नियम से जांच हाेती ताे शहर की तीन दुकानों में खुलेआम ऐसी कालाबाजारी सामने नहीं आती। शर्मनाक बात यह है कि तीन दुकानों पर राजस्व की कार्रवाई में कालाबाजारी उजागर होने के बावजूद खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को किसी भी अन्य जगह अब तक गड़बड़ी नहीं मिली है। इसे देखते हुए कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने जिले की सभी 638 राशन दुकानों के एक साल के राशन आवंटन और डिस्ट्रीब्यूशन की रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट में प्रत्येक राशन दुकान का डाटा देखा जाएगा गड़बड़ी मिलने पर सीधे राशन दुकान का संचालन छीनने की कार्रवाई की जाएगी।
मार्च महीने का आवंटन था ये : राशन दुकानों को होने वाला राशन आवंटन हर महीने बदलता रहता है। हर महीने लगभग 4500 से 5000 मीट्रिक टन गेहूं, चावल, चना, शक्कर और नमक आता है। मार्च के आंकड़ों पर नजर डालें तो। 2500 मीट्रिक टन गेहूं- चावल, 965 मीट्रिक टन चना, 36 टन शक्कर का आवंटन राशन दुकानों को हुआ।
गरीबों को मिलती है कतारें, शटर गिराकर भगाने के किस्से अनेक गरीबी रेखा के राशन-कार्डधारियों का दो किलो चावल और 3 किलो गेहूं का कोटा फिक्स है। इस राशन को लेने के लिए गरीबों को अपनी मजदूरी छोड़कर कतार में लगना पड़ता है। राशन दुकानों से अनाज लेने में कई परेशानियां आती हैं। 
यह बताते हैं परेशानी  राशन दुकान संचालक अक्सर दुकान नहीं खोलते शटर गिरे रहते हैं। महीने की शुरूआत में अक्सर पीओएस मशीनों का राशन डाटा अपडेट नहीं होता। डाटा अपडेट नहीं होने सर्वर डाउन होने से मशीन में राशन कोटा नहीं दिखता, राशन नहीं मिलता।  गरीब परिवारों को दो किलो चावल और 3 किलो गेहूं प्रतिमाह मिलता है। लेकिन इसमें भी राशन दुकान संचालक डाका डाल रहे हैं।
6 लाख रुपए प्रति महीने के हिसाब से वेतन, फिर भी मॉनीटरिंग फेल खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति अधिकारी के साथ, 7 इंस्पेक्टर, 2 सहायक आपूर्ति अधिकारी शामिल हैं। इनके मासिक वेतन पर 6 लाख रुपए भुगतान होता है। टीएडीए अलग से मिलता है। इसके बावजूद राशन दुकानों की मॉनीटरिंग में विभाग पूरी तरह फेल है। 
तीन राशन दुकानों के अलावा कहीं गड़बड़ी नहीं मिली है  राशन दुकानों की मॉनीटरिंग हमारी ओर से लगातार की जाती है। तीन महीने में एक बार जांच का नियम है। गड़बड़ियां सामने आने के बाद जांच ज्यादा सतर्कता से की जा रही है। हालांकि तीन दुकानों के अलावा कहीं और गड़बड़ी फिलहाल नहीं मिली है। रश्मि साहू, जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति अधिकारी 

इनका कहना
जिले की सभी राशन दुकानों में एक साल में आवंटित किए राशन और वितरण की रिपोर्ट मांगी है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग से रिपोर्ट आने के बाद इस रिपोर्ट के आधार पर जांच की जाएगी, गड़बड़ी वाली हर दुकान के संचालकों पर कार्रवाई की जाएगी। 
-तरुण पिथोड़े, कलेक्टर 




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